यू.एफ.ओ.
आकाश में कई बार एसी चीजों को देखे जाने के दावे किये जाते हैं जिनकी तात्कालिक तौर पर किसी ज्ञात वस्तु या घटना के रूप में पहचान नहीं की जा सकती और इस प्रकार आसमान में दिखाई देने वाली इन अज्ञात चीजों को U.F.O. (Unidentified Flying Objects) कहा जाता है अर्थात आसमान में उड़ने वाली उन अज्ञात वास्तुओ अथवा ऑप्टिकल घटनाओं को यू.एफ.ओ. कहते हैं जिनकी तात्कालिक तौर पर किसी प्राकृतिक या मानव निर्मित वस्तु जैसे हवाई जहाज, हेलिकॉप्टर, मौसमी गुब्बारे, सॅटॅलाइट, उपग्रह, पतंग या किसी अन्य ज्ञात वस्तु के रूप में पहचान नहीं की जा सकती। और वो यू.एफ.ओ. जिनकी बाद में किसी मानव-निर्मित वस्तु या प्राकृतिक वस्तु या घटना के तौर पर पहचान कर ली जाती हो उसे आई.एफ.ओ. (Identified Flying Objects) कहा जाता है।
कई बार आकाश में दिखाई देने वाली अज्ञात चीजों (यू.एफ.ओ.) का सम्बन्ध भी दूसरे ग्रह से होने की बात कही जाती है। यू.एफ.ओ. देखने का दावा करने वालों के अनुसार, अधिकतर मामलों में इनका आकार डिस्क या तश्तरीनुमा होने के कारण इन्हें “उड़नतश्तरी” भी कहा जाता है। इसके आलावा इनका आकार त्रिभुजाकार, वलयाकार, शंकुनुमा, गोलाकार आदि भी बताया जाता है। अधिकतर गवाहों के अनुसार इनकी गति बहुत तेज, बिना किसी आवाज के साथ, अपनी धुरी पर घूमते हुए, विशेष प्रकार की रोशनी के साथ, जिग-जेग, सीधे या वृत्ताकार दिशा में गति करते हुए या कई बार लम्बे समय तक एक ही जगह पर मंडराते हुए भी देखे गए हैं। कई मामलों में इनके बाहरी आवरण पर तेज प्रकाश भी देखा गया है।
अमेरिका, कनाडा, इंगलैंड, स्वीडन आदि कई देशों द्वारा अधिकारिक तौर पर यू.एफ.ओ. आधारित घटनाओं पर कई अध्ययन किये गए पर सभी के द्वारा इनके अस्तित्व को नकार दिया गया और अधिकतर यही कहा गया कि लोगों द्वारा मानव निर्मित या प्राकृतिक चीजों/घटनाओं को देखकर यू.एफ.ओ. समझ लिया गया। हालाकिं इन अध्ययनों के दौरान कई ऐसे मामले भी सामने आए जिनको मानव-निर्मित वस्तु या प्राकृतिक घटनाओं के रूप में परिभाषित नहीं किया जा सका परन्तु अधिकतर मामलो में यू.एफ.ओ. की पहचान आई.एफ.ओ. के तौर पर कर ली गयी। पश्चिमी देशों द्वारा यू.एफ.ओ. की अवधारणा को नकारने के बावजूद इन्ही देशों में कई एसी संस्थाएं हैं जो कि अन्य ग्रहों पर जीवन की तलाश एवं यू.एफ.ओ. आधारित दावों का अन्वेंषण करती है और एलियंस-यू.एफ.ओ. की अवधारणा को तार्किक रूप से सिद्ध करने की कवायद में जुटी है।
भारत सहित कई अन्य देशों जैसे अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, रूस, स्वीडन, बेल्जियम, रोमानिया, स्कॉटलैंड, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया, चिली, जापान, चीन, न्यूजिलेंड आदि कई देशों में लोगों द्वारा यू.एफ.ओ. देखे जाने के मामले सामने आते रहे हैं और इन मामलों में यू.एफ.ओ. को केवल आम लोगों द्वारा ही नहीं देखा गया बल्कि सेना के जवान, अधिकारी, पायलट, पुलिस अधिकारी, छात्रों, मीडिया-कर्मियों आदि के द्वारा भी देखे जाने के दावे होते रहे हैं। कई मामलांे में तो एक से अधिक संख्या में भी एक ही यू.एफ.ओ. को देखे जाने की बात आती रही है वहीं कई बार शहर के कई लोगांे द्वारा अलग अलग स्थानों से एक ही समय पर किसी यू.एफ.ओ. को देखे जाने के किस्से भी सामने आये हैं। शहर, गाँव आदि के साथ साथ मैदान, रेगिस्तान, जंगल, पहाड़, समुद्र, नदी, तालाब आदि स्थानों पर भी यू.एफ.ओ. देखे जाने की खबरें आती रही है, इसके अलावा मिलिट्री एरिया, एयरपोर्ट, अन्तराष्ट्रीय सीमाओं, परमाणु बिजली घरों आदि के आसपास भी इन उड़नतश्तरियों के देखे जाने की खबरें भी सामने आती रहती है।
भारत में भी यू.एफ.ओ. देखे जाने की घटनाएं लगातार सामने आती रही हैं लेकिन पिछले कुछ वर्षों से इनकी संख्या में काफी तेजी से वृद्धि हुई है जिसका एक मुख्य कारण लोगों में आयी जागरूकता एवं मीडिया का बढता प्रभाव भी हो सकता है जिसके कारण लोग अब एसी घटनाओं को अधिक प्रचारित करने लगे हैं।
अभी तक किये गए यू.एफ.ओ. आधारित अध्ययनों में यह बात सामने आई है कि अधिकतर मामलों में लोगों ने मानव निर्मित, प्राकृतिक या अन्य ज्ञात वस्तुओं या आकाश में होने वाली कुछ विशेष प्रकार की घटनाओं को ही यू.एफ.ओ. मान लिया। उदाहरण के तौर पर रात के समय घने बदलों में हो रहे सूर्य किरणों का परावर्तन, मौसम निगरानी के लिए छोड़े गए गुब्बारों, मिसाइल परीक्षण, पेरासूट, कृत्रिम उपग्रहों के सोलर पेनलों से परावर्तित होने वाली सूर्य किरणों, रात के समय कुछ बड़े आकार में दिखाई देने वाले ग्रहों आदि को ही यू.एफ.ओ. समझ लिया जाता है। इसके आलावा कई मामलों में लोगों की धार्मिक मान्यताओं, भ्रम, शरारत, गलतफहमी, अफवाह या अन्धविश्वास जैसी वजहें सामने आई। अध्ययनों में अधिकतर मामलों में यूएफओ की पहचान बाद में आई.एफ.ओ. (आईडेन्टीफाइड फ्लाइंग ऑब्जेक्ट) के तौर पर कर ली गयी. हालाकिं इन अध्ययनों में कुछ ऐसे मामले भी सामने आये जो कि वैज्ञानिकों एवं विशेषज्ञों के लिए भी अज्ञात रहे हैं और जिनकी कोई व्याख्या नहीं की जा सकी और किसी निश्चित परिणाम पर नहीं पहुंचा जा सका।
यू.एफ.ओ. रिपोर्ट
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