एलियन-यू.एफ.ओ. की अवधारणा को नकारने एवं समर्थन करने वालों के अनुसार दिए जाने वाले मुख्य मत निम्न प्रकार हैं-

अभी तक के अध्ययनों में पृथ्वी के आलावा किसी अन्य ग्रह पर जीवन होने के कोई पुख्ता प्रमाण/सबूत नहीं मिले हैं और यह सिद्ध नहीं हो सका है कि धरती के आलावा भी अन्यत्र कहीं बुद्धिजीवी रहते हैं अर्थात अगर किसी अन्य ग्रह पर बुद्धिजीवी नहीं रहते हैं तो यह कैसे संभव है कि अन्य ग्रह के लोग किसी यू.एफ.ओ., उड़नतश्तरी या अंतरिक्षयान में बैठकर पृथ्वी पर आ सके।

हालांकि एलियन-यू.एफ.ओ. की अवधारणा का समर्थन करने वाले विशेषज्ञों का इस विषय पर मत है कि यह अंतरिक्ष अनन्त है और बहुत कम ऐसे ग्रह और तारामंडल हैं जहां तक हमारे अंतरिक्षयानों या दूरबीन आदि यंत्रो द्वारा उन ग्रहों-पिंडो तक हमारी नजर पहूंच पाई है और वैसे भी अभी हमारी अन्य ग्रहों पर जीवन की खोज जारी है, अतः पुख्ता तौर पर यह भी नहीं कहा जा सकता कि किसी अन्य ग्रह पर जीवन हो ही नहीं सकता। अतः यह भी संभव है कि कहीं अन्यत्र जीवन तो है लेकिन हम अभी वहां तक पहूंच नहीं पाए हैं।
सन् 1961 में फ्रैंक ड्रेक नाम के रेडियो वैज्ञानिक ने एक समीकरण बनायी जिसका मुख्य उद्देश्य यह अनुमान लगाना था कि कितने ग्रहों पर बुद्धिजीवीयों के होने की सम्भावना है, इसे ‘ड्रेक समीकरण’ के नाम से जाना जाता है। प्राप्त तथ्यों के आधार पर इस समीकरण की सहायता से यह अनुमान लगाया गया कि हमारी आकाशगंगा में करीब 10,000 ग्रहों पर जीवन होने की सम्भावना हो सकती है। 2001 में वैज्ञानिकों द्वारा इस समीकरण में कुछ और सुधार किये गए और अनुमान लगाया गया कि हजारों नहीं लाखों ग्रहों पर जीवन की संभवना हो सकती है।

यू.एफ.ओ. देखे जाने के दावे तो बहुत होते हैं लेकिन किसी यू.एफ.ओ. का कभी कोई भौतिक प्रमाण नहीं मिला है जिसका किसी प्रयोगशाला में शोधकार्य करके जाँच की जा सके।


 लेकिन इस बात पर अन्यविशेषज्ञों द्वारा कहा जाता है कि इस प्रकार के कई सबूत एवं प्रमाण मिलते रहे हैं लेकिन सरकार के दबाव के चलते इन्हें उजागर नहीं किया जाता है।

यू.एफ.ओ. देखे जाने के बहुत सारे दावे होते रहे हैं लेकिन आज तक किसी बाहरी अंतरिक्षयान से सम्बंधित कोई ठोस सबूत नहीं मिला है। अभी तक जितने भी फोटोग्राफ या वीडियो मिले हंै वो या तो रात के समय के हैं और उनमें सिर्फ रोशनी दिखाई दे रही है या फिर बहुत ही धुंधले हैं। और कई मामलो में दावेदारों द्वारा दिए गए फोटोग्राफ/वीडियो नकली पाए गए जिन्हें कि कम्प्यूटर द्वारा एडिट करके बनाया गया था।

लेकिन एलियन-यू.एफ.ओ. अवधारणा का समर्थन करने वाले वैज्ञानिकों का कहना है कि हर साल हजारों लोगों द्वारा यू.एफ.ओ. देखे जाने के दावे किये जाते हैं, हो सकता है कि अधिकतर मामलों में लोगों द्वारा ज्ञात चीजों को ही अज्ञानता-वश या जानकारी के अभाव में गलती से यू.एफ.ओ. समझ लिया जाता है लेकिन यू.एफ.ओ. देखने का दावा करने वालों में आम लोगों के साथ साथ सेना-अधिकारी, पायलट, मीडिया-कर्मी, वैज्ञानिक आदि भी शामिल हैं और इनके द्वारा इस प्रकार की गलती की संभावनाएं बहुत ही कम है कि किसी मानव निर्मित वस्तु या प्राकृतिक घटना को यू.एफ.ओ. समझ लें, फिर भी कुल मिलाकर यदि यह कहा जाये कि यू.एफ.ओ. देखे जाने के अधिकतर मामलों में से ज्यादातर फोटो नकली पाए जाते हैं या इनकी पहचान आई.एफ.ओ. के रूप में कर ली जाती है फिर भी कई मामले ऐसे भी सामने आते रहे हैं जो कि अज्ञात रह जाते हैं और यदि इन अज्ञात मामलों में से कोई एक दावा भी सही होता है तो इसका अर्थ यह हुआ कि पृथ्वी के अलावा भी किसी दूसरे ग्रह पर बुद्धि जीवी रहते हैं और वो धरती पर आते रहते हैं।

कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि हमारे निकटतम तारामंडल तक पहूंचने में मनुष्य को लगभग 75 वर्ष लग जायेंगे, और इतना ही समय वहां से किसी को यहां तक आने में लग जायेगा, अतः अपने जीवन काल में यहां से वहां या वहां से यहां तक पहूंच पाना संभव नहीं है।

लेकिन यह भी हो सकता है कि उनके पास हमसे कहीं अधिक उन्नत तकनीक हो और उन्हें यहाँ तक आने में इतना समय नहीं लगे जितना कि हम मनुष्य अनुमान लगा रहे हैं, साथ ही यह भी संभव है कि वो खुद आने की बजाय यू.एफ.ओ. के रूप में रोबोटिक यान भेजते हों।